हम सभी जानते हैं कि किसी भी समाज एवं राष्ट्र के समस्त अच्छे नागरिकों का स्वप्न अपने समाज एवं राष्ट्र को आदर्श बनाना है । जब हम राजमार्गों से गुजरते हैं, तो हम ‘आदर्श ग्राम’ का संकेत देखते हैं । ग्राम वास्तव में आदर्श है अथवा नहीं यह भिन्न प्रश्न है किन्तु इतना तो है कि एक अच्छा विचार एवं संकल्प तो है। हमने कभी भी ‘आदर्श शहर’ का संकेत नहीं देखा है। क्यों इस बात पर विचार करना अतिरेक है कि क्या एक शहर आदर्श बन सकता है । क्या हमने कभी इस बात पर विचार किया कि हमें हमारे समाज, नगर, प्रांत, राष्ट्र एवं राष्ट्र मण्डल को आदर्श बनाने के लिए क्या करने की आवश्यकता है शायद नहीं । प्रत्येक व्यक्ति उसके अपने कार्यों में व्यस्त है। उसके पास स्वयं के विषय में विचार करने का भी पर्याप्त समय नहीं है, अन्य के विषय में अथवा समाज के विषय में क्या विचार करेगा । विभिन्न धर्मों, विभिन्न संस्कृतियों के महान संतों, ऋषियों, महर्षियों ने विभिन्न समयों में इस विषय पर विचार किया है, वे इस विचार को प्रसारित करते रहे हैं एवं इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सैद्धांतिक ज्ञान एवं व्यावहारिक कार्यक्रम प्रदान करते रहे हैं किन्तु किसी कारणवश यह पर्याप्त मात्रा में नागरिकों तक उस समय में मुखरित नहीं हो पाये । परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी ने प्रत्येक समाज में आदर्श व्यक्ति, आदर्श नागरिक के निर्माण के लिए व्यावहारिक कार्यक्रम दिया है ।
महर्षि जी ने 19 वीं सदी के छठवें दशक में भारत में एक सम्बोधन में आदर्श समाज निर्माण की बात की थी। वर्ष 1979 में महर्षि जी ने 108 देशों में किये गये परीक्षण के आधार पर भारत को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ‘आदर्श समाज निर्माण’ के एक कार्यक्रम से अनुग्रहीत किया था । 1 जून 1978 को यह निर्णय किया गया था कि संसार भर के 20 देशों के चयनित प्रांतों में ज्ञानयुग के प्रशासक (वरिष्ठ भावातीत ध्यान शिक्षक) एकत्रित हों । 2000 से अधिक प्रशासक इन प्रांतों में एवं राज्यों में एक ‘आदर्श प्रांत’ निर्माण के कार्यक्रम में प्रतिभागिता के लिए एकत्र हुए । इसके अतिरिक्त अन्य प्रशासक इसी कार्यक्रम में भाग लेने के लिए संसार भर में 88 छोटे राष्ट्रों में भेजे गये, जिससे यह सिद्ध किया जा सके कि किसी भी राष्ट्र को अजेय बनाया जा सकता है एवं कुछ माहों के अंदर ही राष्ट्र को आदर्श समाज के स्तर पर लाया जा सकता है ।
इन राष्ट्रों एवं प्रांतों के महापौर, स्थानीय शासकीय अधिकारियों, व्यावसायिकों, सेवानिवृत्त नागरिकों, विद्यार्थियों एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़े नागरिकों ने इन प्रबुद्ध व्यक्तियों के साथ समाज के जीवन को समृद्ध करने के इस कार्यक्रम में प्रतिभागिता की, जिनका आंतरिक जीवन एवं बाह्य उपलब्धियाँ संपूर्ण वातावरण में समन्वय एवं सात्विकता से प्रकाशित थी ।
महर्षि मॉडल प्रांत प्रोजेक्ट के प्रभाव को पूर्णतः वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण करने के लिए महर्षि यूरोपियन रिसर्च यूनीवर्सिटी (मेरू), स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने समाज में सामूहिक चेतना के विकास के मूल्यांकन हेतु सांख्यिकीय एवं सामाजिक मापदंड का एक सूचकांक तैयार किया । इस सूचकांक की संरचना जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति के 6 मूलभूत सिद्धांतों के विकास पर आधारित थी- 1. सृजनात्मकता 2. अनुकरणीयता, 3. स्थिरता 4. एकीकरण 5. शुद्धीकरण 6. विकास ।
शरीरिकी, मनोविज्ञान, समाजशास्त्रा एवं परिस्थितिकीय क्षेत्रों में अभिव्यक्त इन मूलभूत सिद्धांतों को जीवन के समस्त क्षेत्रों में उपलब्ध सांख्यिकीय संपदा, समाचारों, वैज्ञानिक एवं व्यावसायिक वृत्तपत्रा एवं शासकीय अभिलेखों से प्राप्त कर विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि एवं व्यवस्था, अर्थशास्त्रा एवं उद्योग, प्रशासन, कृषि, पर्यावरण एवं समाज कल्याण का परीक्षण किया गया ।