यह जानते हुए कि समस्त नागरिक, समाज, नगर, प्रांत एवं सम्पूर्ण भारत, को आदर्श भारत के रूप में रूपांतरित किया जाना है, हमें यह जानने की आवश्यकता है कि हमारे पास कैसा ज्ञान है, हमारी योजनाएं, कार्यक्रम एवं तैयारियां क्या हैं। हमें दोनों पद्धतियों; शाश्वत् वैदिक पद्धति एवं अत्याधुनिक वैज्ञानिक पद्धति को साथ लेकर चलना है। दोनों पद्धतियाँ एक दूसरे की पूरक हैं, एक को लेकर चलने एवं दूसरे को छोड़ने से हम अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पायेंगे ।