भावातीत ध्यान एक सरल, सहज, प्रयासरहित एवं अद्वितीय वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ध्यान की तकनीक है, जो मन को शुद्ध चेतना अनुभव करने एवं एकात्म होने के लिए स्थिर करती है एवं स्वाभाविक रूप से विचार के स्रोत, मन की शांत अवस्था-भावातीत चेतना-शुद्ध चेतना, आत्म-परक चेतना तक पहुँचाती है, जो समस्त रचनात्मक प्रक्रियाओं का स्रोत है ।
भावातीत ध्यान तंत्रिका प्रणाली को गहन विश्रांति प्रदान करता है, मन की चैतन्य क्षमता को विस्तारित करता है, व्यक्ति की पूर्ण सामथ्र्य को सहजरूपेण प्रकट करता है एवं दैनिक जीवन के समस्त क्षेत्रों को समृद्ध करता है। भावातीत ध्यान के दौरान व्यक्ति के विचार सूक्ष्म और स्थिर होते जाते हैं एवं व्यक्ति विश्रांतिपूर्ण जागृति की एक अद्वितीय अवस्था का अनुभव करता है। जैसे ही शरीर गहन विश्रांति में जाता है, वैसे ही चेतना जागृति की अनुपम अवस्था में पहुंचकर भावातीत चेतना का अनुभव करते हुए भाव के परे चली जाती है, भावातीत हो जाती है, जहां चेतना स्वयं में जागृत होती है। यह चेतना की आत्म-परक अवस्था है ।
इस प्रक्रिया को नदी की भांति माना जा सकता है, जो स्वाभाविक रूप से एवं प्रयासरहित रूप से सागर में प्रवाहित होती है एवं सागर की स्थिति प्राप्त कर लेती है । भावातीत ध्यान का अभ्यास सुविधापूर्वक बैठकर दिन में दो बार 15-20 मिनट के लिए किया जाता है एवं इसे सरलतापूर्वक समस्त आयुवर्ग के, राष्ट्रीयता, संस्कृतियों, धर्मों एवं शैक्षणिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों द्वारा सीखा जा सकता है । जीवन के समस्त क्षेत्रों के 7 मिलियन से अधिक लोगों ने भावातीत ध्यान सीखा है एवं वे अपने व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन में इसके असंख्य लाभों का अनुभव कर रहे हैं ।
भावातीत चेतना का अनुभव व्यक्ति की अन्तर्निहित रचनात्मक सामथ्र्य को विकसित करता है, इसके साथ-साथ ही अभ्यास द्वारा संचित तनाव एवं थकान को समाप्त करता है । यह अनुभव व्यक्ति की रचनात्मकता, गतिशीलता, सुव्यवस्था एवं संगठनात्मक शक्ति को जीवंत करता है जो दैनिक जीवन में विकासवान प्रभावशीलता एवं सफलता प्रदान करता है ।
भावातीत ध्यान कार्यक्रम (महर्षि प्रणीत वेद विज्ञान का व्यावहारिक क्षेत्र) शुद्ध चेतना विज्ञान का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान कराता है, एवं इसकी प्रकृति, विकास सम्भावनाओं एवं प्रयोगों का पूर्ण ज्ञान प्रस्तुत करता है । हम हमारे जीवन में जो भी बुद्धिमत्ता प्रदर्शित करते हैं वह हमारे विचारों से आती है एवं विचार हमारे अन्दर गहराई में किसी स्थान से आते हैं ।
किसी अन्य विज्ञान की भाँति, महर्षि वैदिक विज्ञान में भी चेतना विज्ञान के दो क्षेत्र - व्यावहारिक (अनुभव प्रदान करने के लिएद्ध एवं सैद्धांतिक (समझ प्रदान करने के लिए) हैं। महर्षि वैदिक विज्ञान शुद्ध चेतना विज्ञान का व्यवस्थित ज्ञान प्रदान करता है यह ज्ञान की पूर्ण सामथ्र्य एवं इसकी अनन्त संगठनात्मक शक्ति-समस्त ज्ञान, शक्ति एवं आनंद का ड्डोत-प्राकृतिक विधान की पूर्ण सामथ्र्य प्रदत्त करता है, जो प्रत्येक व्यक्ति में अन्तर्निहित अप्रकट प्रतिभा को प्रकट करती है ।
भावातीत ध्यान के नियमित अभ्यास के साथ दैनिक जीवन में प्राकृतिक विधान के सहयोग में अभिवृद्धि होती है। चेतना की पूर्ण सामथ्र्य-शुद्ध चेतना विज्ञान, भावातीत चेतना को जागृत करने से-समस्त कार्यों में प्राकृतिक विधानों की अनन्त संगठनात्मक शक्ति का सहयोग सहजरूपेण एवं स्वाभाविक रूप से प्राप्त होता है। विचार की सूक्ष्मतर अवस्थाओं का अनुभव करने एवं विचार के ड्डोत, शुद्ध चेतना तक व्यवस्थित रूप से पहुंचने के लिए सुव्यवस्थित प्रक्रिया होने के कारण से, भावातीत ध्यान कार्य में कुशलता की प्रक्रिया है । भावातीत ध्यान कम परिश्रम करके अधिकाधिक फल प्राप्त करने की तकनीक है ।
चेतना की सात अवस्थाएं हैं : चेतना की जागृत अवस्था, चेतना की स्वप्न अवस्था, चेतना की सुषुप्त अवस्था, भावातीत चेतना, तुरीयातीत चेतना, भगवद् चेतना एवं ब्राह्मीय चेतना । चेतना की विभिन्न अवस्थाओं में ज्ञान का भिन्न स्तर होता है। चेतना की चतुर्थ अवस्था, भावातीत चेतना का भावातीत ध्यान की प्रक्रिया द्वारा अनुभव करने से चेतना की उच्चतर अवस्थाएं प्रबुद्धता तक प्रकट हो जाती है-ब्राह्मीय चेतना-चेतना की पूर्ण जागृति उदित होती है, जिसमें व्यक्ति की पूर्ण रचनात्मक सामथ्र्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का समर्थन करती है ।
हमारी समस्त क्रिया, विचार एवं भावना तंत्रिाका प्रणाली की स्थिति पर निर्भर करती है । जब हम विश्रांति एवं ताजगी का अनुभव करते हैं, तो समस्त क्रिया सरल एवं अधिक रचनात्मक प्रतीत होती है, जबकि उन दिनों जब हम तनाव में होते हैं, तब यह थकी हुई मनोदशा हमारे प्रत्येक कार्य में अभिव्यक्त होती है । थकान की सतही स्थिति को हम थकावट कहते हैं, थकान की गहन अवस्था को तनाव कहा जाता है । भावातीत ध्यान शरीर को गहन विश्राम एवं तंत्रिका प्रणाली को नवीन ऊर्जा प्रदान करता है ।
कोई भी व्यक्ति भावातीत ध्यान के अभ्यास द्वारा थकावट एवं गहन तनाव से मुक्ति प्राप्त कर सकता है । शरीरिकी के क्षेत्र में शोध ने दर्शाया है कि मानसिक क्रिया शरीरिकीय क्रिया से सम्बन्धित होती है । मस्तिष्क प्रत्यक्षतः शरीर की तंत्रिका प्रणाली से जुड़ा होता है ।
इस बात की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि कर दी गयी है कि जीवन सदैव अधिकाधिक की ओर- अधिक सफलता एवं अधिक परिपूर्णता की ओर आकर्षित होता है । मन की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अधिकाधिक प्रसन्नता की ओर गति करता है । महर्षि प्रणीत भावातीत ध्यान ऐसी तकनीक है जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके स्वयं के अंदर से अधिक रचनात्मक, अधिक ऊर्जावान एवं प्रसन्न बनाती है । भावातीत ध्यान प्रत्येक व्यक्ति की आंतरिक रचनात्मक बुद्धिमत्ता को प्रकट करने की तकनीक है ।
भावातीत ध्यान कार्यक्रम पर लगभग 700 वैज्ञानिक अध्ययन विगत 5.5 दशकों के दौरान 33 देशों में 250 से अधिक स्वतंत्रा शोध संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शोधकर्ताओं द्वारा किये गये हैं । इनमें हार्वर्ड मेडिकल स्कूल प्रिसटन यूनीवर्सिटी स्टेनफोर्ड मेडिकल स्कूल शिकागो यूनीवर्सिटी मिशीगन मेडिकल स्कूल यूनीवर्सिटी केलीफोर्निया यूनीवर्सिटी बर्केले लास एंजेल्स में कैलीफोर्निया यूनीवर्सिटी यार्क यूनीवर्सिटी, कनाडा एडिनबर्ग यूनीवर्सिटी, स्काटलैंड लुंड यूनीवर्सिटी, स्वीडन ग्रोनिन्जेन यूनीवर्सिटी, द नीदरलैंड न्यू साउथ वेल्स यूनीवर्सिटी, आस्ट्रेलिया इन्स्टीट्यूट डे ला रोचे फाउकाल्ड, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्डिस्ट्रियल हेल्थ जापान एवं मास्को ब्रेन रिसर्च इन्स्टीट्यूट ऑफ एकेडेमी ऑफ मेडिकल साइंस रशिया शामिल हैं ।
अध्ययनों को कई प्रमुख वैज्ञानिक वृत्तपत्राों में प्रकाशित किया गया है, जिसमें साइंस, लांसेट, साइंटिफिक अमेरीकन, अमरीकी जर्नल ऑफ फिजियोलाॅजी, इन्टरनेशनल जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस, एक्सपेरीमेंटल न्यूरोलाॅजी, इलेक्ट्रोइनसिफेलोग्राफी एण्ड क्लिनिकल न्यूरोफिजियोलाॅजी, साइकोसोमेटिक मेडिसिन, कनाडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल, अमेरीकन साइकोलाजिस्ट, ब्रिटिश जर्नल ऑफ एजुकेशनल साइकोलाॅजी, जर्नल ऑफ काउंसेलिंग साइकोलाॅजी, जर्नल ऑफ माइंड एण्ड बिहेवियर, एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट जर्नल, जर्नल ऑफ कनफ्रिलक्ट रिजोल्यूशन, परसेप्च्युअल एण्ड मोटर स्किल्स, क्रिमिनल जस्टिस एण्ड बिहेवियर, जर्नल ऑफ क्राइम एण्ड जस्टिस, प्रोसीडिंग ऑफ द एन्डोक्राइन सोसायटी, जर्नल ऑफ क्लिनिकल साइकिएट्री एवं सोशल इन्डिकेटर्स रिसर्च शामिल हैं ।
कई अध्ययनों को व्यावसायिक वैज्ञानिक सम्मेलनों में प्रस्तुत किया गया है एवं अन्य उच्च श्रेणी के विश्वविद्यालयों में विद्यावारिधि के शोध निबन्धों के भाग के रूप में शोध समितियों के मार्गदर्शन में तैयार किये गये हैं । अधिकांश शोध परिणामों को एकसाथ सात ग्रथों में (5000 से अधिक पृष्ठ) ‘‘महर्षि प्रणीत भावातीत ध्यान एवं भावातीत ध्यान सिद्धि कार्यक्रम पर वैज्ञानिक शोध- संग्रहित पत्रा’’ के रूप में एकत्रित एवं प्रकाशित किया गया है ।
इन अध्ययनों ने व्यक्ति एवं समाज के प्रत्येक क्षेत्र के लिए भावातीत ध्यान के प्रभावी लाभों को प्रमाणित किया गया है जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार, उद्योग, पुनर्वास, सुरक्षा, कृषि एवं सरकार सम्मिलित हैं ।
भावातीत ध्यान बुद्धिमत्ता की आत्म-परक अवस्था की रचनात्मक प्रतिभा-प्रकृति के समस्त नियमों के केन्द्र को प्रकाशित करता है एवं समस्त विचार, वाणी एवं कार्य को धारित करने के लिए प्रकृति के नियमों को प्रेरित करता है ।
ध्यान करने वाले व्यक्ति अपने क्रिया-कलापों द्वारा न केवल समाज में समन्वय स्थापित करते हैं बल्कि समाज की सामूहिक चेतना में समन्वय एवं सुव्यवस्था को भी प्रसारित करते हैं एवं संपूर्ण संसार के लिए प्रकृति के समस्त नियमों के, समत्व योग के क्षेत्र से ‘क्षेत्र प्रभाव’ द्वारा, जिसे इसके प्रभाव स्वरूप ‘महर्षि प्रभाव’ के रूप में नामित किया गया है, यह कार्य करते हैं ।