यूनेस्को घोषणापत्रा का कथन है : ‘युद्ध मनुष्यों के मस्तिष्क में प्रारंभ होते हैं ।’ महर्षि प्रणीत समत्व योग पर आधारित चेतना विज्ञान व्याख्या करता है कि युद्ध राजनीतिज्ञों अथवा जनरलों के व्यक्तिगत मन में नहीं, बल्कि संपूर्ण समाज की सामूहिक चेतना में प्रारंभ होते हैं ।
महर्षि प्रणीत समत्व योग पर आधारित तकनीकों का अभ्यास करने वाले ‘शांति निर्माणकर्ता समूह’ आतंकवाद एवं युद्ध का निवारण करने के लिए पूर्ण प्राकृतिक विधानों के स्तर से कार्य करते हैं, जिससे सामूहिक चेतना में व्यापी तनाव, सामाजिक हिंसा के रूप में विस्फोट होने से पूर्व ही समाप्त हो जाये ।
महर्षि प्रणीत पूर्ण सुरक्षा का सिद्धांत भारत सहित प्रत्येक राष्ट्र के लिए सामयिक है । हमारी सरकार को इस बात से अवगत होना चाहिए कि आक्रमण की एक नवीन विषयवस्तु संसार को प्रभावित कर रही है एवं भारत इसका अपवाद नहीं हैं ।
शरीरिकीय, सामाजिक, राजनीतिक, एवं आर्थिक तूफान विभिन्न देशों में निर्मित किये जा रहे हैं, जो नागरिकों को युद्ध में झोंकते हैं, देश को टुकड़ों में बांटते हैं, राष्ट्र को कमजोर करते हैं, तख्तापलट के लिए षड़यंत्रा करते हैं ।
अंतरिक्ष अन्वेषण इतना उन्नत हो गया है कि पृथ्वी पर किसी भी वस्तु को, बिना किसी व्यक्ति के जाने कि कौन नष्ट कर रहा है एवं कहां से गोलियां चल रही है, नष्ट किया जा सकता है ।
एक साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति अपने जेब में एक छोटा सा यंत्रा ले जायेगा, पृथ्वी पर अक्षांश एवं देशांस चिन्हित करने के लिए । वह निकटतम गोपनीय स्टेशन को सूचना प्रसारित करेगा, जहां से इसे उपग्रह द्वारा अंतरिक्ष युद्ध स्टेशन को प्रसारित किया जायेगा, अंतरिक्ष से लक्ष्य पर निशाना साध दिया जायेगा एवं सतह पर जासूसी प्रणाली का संजाल प्रशासन को हस्तगत कर लेगा ।
अल्प समय में किसी देश को हस्तगत कर लेना उन्नत अंतरिक्ष युद्ध रणनीति के साथ आज पूर्णतया संभव है । आज ऐसी सरकारें हैं जो शांति से एवं गोपनीय तरीके से अर्थव्यवस्था में सुधार के वेष में एवं औद्योगिक विकास के नाम सूचना का एक संजाल फैला रही हैं । अंतरिक्ष युद्ध की रणनीति से बचने के लिए, किसी भी राष्ट्र के पास कोई सुरक्षा नहीं है । शत्राु की अन्य भयानक रणनीतियों में रासायनिक युद्ध, बीमारी फैलाने के लिए जैविक युद्ध एवं इसके लिए आनुवंशिक अभियांत्रिाकी हो सकती है ।
विदेशी सहायता द्वारा आर्थिक विकास की चकाचैंध में, अकल्पनीय खतरा प्रत्येक राष्ट्र के क्षितिज पर मंडरा रहा है । आज प्रत्येक राष्ट्र की संप्रभुता अथवा इसके ध्वज की संप्रभुता खतरे में है ।
सेना में एक निवारक इकाई अंतरिक्ष युद्ध, रासायनिक युद्ध, जैविक युद्ध, युद्ध रणनीति- आनुवंशिक अभियांत्रिाकी द्वारा एवं सूचना युद्ध से एक मात्रा बचाव है । यह किसी भी सेना के लिए अब चुनाव का विषय नहीं रहा सेना में एक निवारक इकाई प्रत्येक देश की सुरक्षा मंत्राालय की एक मूर्त आवश्यकता है । सुरक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिकों को किसी भी अर्थ में ‘क्षेत्र-प्रभाव’-महर्षि प्रभाव द्वारा सुरक्षा को जागृत किया ही जाना चाहिए ।
यदि शोधकर्ता सुरक्षा के क्षेत्र में इस आवश्यकता को नहीं समझते, तो वे परंपरागत दिनों की वैज्ञानिक शोध के पुराने, निष्प्रयोज्य पद चिन्हों का ही अनुसरण कर रहे हैं । सदियों से इस शोध के साथ संघर्ष ने युद्धों का कोई समाधान प्रतिपादित नहीं किया है ।
यह सब प्रशासन को सतर्क करने के लिए कहा जा रहा है कि यह वो समय नहीं है एवं यह वो विषय नहीं है जिसे स्थगित किया जा सके । समय की कोई भी क्षति अवसर की क्षति होगी क्योंकि शत्राु (मित्र के वेष में) समस्त दिशाओं से प्रतिदिन तीव्रता से आगे बढ़ रहा है ।
एक सरकार अपने नाम में तभी सार्थक है, जब यह समस्याओं का निवारण करने की क्षमता से युक्त रहे । एक निवारक इकाई राष्ट्र पर विविध दिशाओं से होने वाले आक्रमणों की संभाव्यता से एकमात्र सुरक्षा एवं बचाव है - अजेयता के स्तर पर सुरक्षा को सत्यापित करने के लिए सेना में एक निवारक इकाई का निर्माण अंतिम सुरक्षा रणनीति हैऋ यह एक मूर्त आवश्यकता है क्योंकि सेना के पास राष्ट्र की सुरक्षा का उत्तरदायित्व है ।
सेना में एक निवारक इकाई के माध्यम से शांति एवं सुव्यवस्था देश में राज्य करेगी एवं राष्ट्रीय संविधान को सृष्टि के संविधान की अजेय संगठनात्मक शक्ति द्वारा समर्थन, समृद्धता एवं संतुलन प्राप्त होगा।
सुरक्षा की यह पद्धति समस्त योग-एकीकृत क्षेत्र के प्रत्यक्ष तकनीकी प्रयोग का उपयोग करती है । चुंकि यह प्राकृतिक विधानों के गहनतम, अत्यन्त शक्तिपूर्ण एवं समग्र स्तर से कार्यशील होती है, इसलिए इसके प्रभाव व्यापक एवं अभेद्य होते हैं । यह इलेक्ट्रानिक, रासायनिक, जैविक अथवा आणविक स्तरों पर आधारित सुरक्षा की परंपरागत तकनीकों को शक्तिहीन एवं प्रभावशीलता से शस्त्राहीन कर सकती है । चूंकि यह तकनीक, शक्ति के बावजूद अन्तर्निहित रूप से सुरक्षित है, क्योंकि यह प्राकृतिक विधानों के पूर्णतया समग्र स्तर के प्रयोग पर आधारित है, जिसमें शत्राु के अन्दर शत्राुता को समाप्त करने एवं उसे मित्रता में रूपांतरित करने की क्षमता है ।
प्रकाशित शोध पुष्टि करते है कि जब जनसंख्या का एक प्रतिशत भावातीत ध्यान कार्यक्रम का अभ्यास करता है अथवा जनसंख्या के एक प्रतिशत के वर्गमूल के बराबर अभ्यासकर्ता भावातीत ध्यान सिद्धि कार्यक्रम एवं योगिक उड़ान का अभ्यास करते हैं तो सतोगुण एवं सकारात्मकता का एक शक्तिशाली प्रभाव राष्ट्र की संपूर्ण सामूहिक चेतना में जीवंत होता है, ‘महर्षि प्रभाव’ निर्मित होता है । महर्षि प्रभाव राष्ट्र के लिए सुरक्षा का एक अजेय कवच निर्मित करता है, जिसे किसी भी बाह्य नकारात्मक प्रभाव द्वारा कभी भी भेद्य नहीं किया जा सकता ।
महर्षि प्रणीत पूर्ण सुरक्षा का सिद्धांत, अजेयता का उपहार प्रस्तावित करते हुए संघर्ष विहीन राजनीति, समस्या विहीन सरकार एवं विश्वशांति की एक स्थायी अवस्था निर्मित करेगा।